न रांझा न मजनूं का हार चाहिए,
मुझे तो अपने हिस्से का
प्यार चाहिए|
माकूल नहीं ये तन्हाई की
घड़िया,
इस जीवन को तेरा श्रृंगार
चाहिए|
ताउम्र जिसे सुनता रहूँ वो,
तेरी पायल की, मादक झंकार चाहिए|
ये कमबख्त दिल है जो मानता
नहीं,
झूठा ही, इसको तो बस इकरार चाहिए|
जायज़ तेरी मौजूदगी होगी,
न की मुझे तेरा इंतजार
चाहिए|
आखों की नमी भी कुछ कह रही
है,
इक पल को तेरा दीदार चाहिए|
डूबा हूँ तेरे प्यार के
समन्दर में,
न निकाल, मुझे तो ये मझधार चाहिए|
जुर्म तो मैंने भी किया ये
मोहब्बत का,
इस कैद में अब तू भी
गिरफ्तार चाहिए|
भीगुँगा मै भी बारिश में इक
दिन,
कभी बरस तो, मुझे तेरे
प्यार की बौछार चाहिए|
होगा गुमाँ तुझे अपना बनाने
का,
तेरा भी मुझ पर ऐतबार चाहिए|
साथ न छूटेगा ये वादा रहा,
पर तू भी मुझसी बेकरार चाहिए|
न कोई और, न कोई और, न कोई और,
तू ही तू, तू ही तू बस तू ही तू, हर बार चाहिए|
faduu bhiaoo... bht sahi ja rhe ho..ek novmbr ..
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