Friday 30 January 2015

जरा सुनिए...

एक नयी शुरुआत चाहता हूँ
मैं तुमसे कुछ करना बात चाहता हूँ

जो बस जाए तुम्हारे ज़ेहन में भी
वो एक करना मुलाकात चाहता हूँ

हूँ सही या गलत मैं
बुरा ही, पर एक अंजाम चाहता हूँ

नाज़ुक डोर सा ही सही, रिश्ता तो हो
तुमसे वो हर एक जज़्बात चाहता हूँ

कट जाए ये जिंदगी आपकी याद में
इक हँसी का आघात चाहता हूँ

हो जरुरत और याद करो तुम
एक पल को ऐसे हालात चाहता हूँ

न बदलेगी मेरी ये फितरत
गुस्ताखी माफ़ चाहता हूँ

जो बस जाए तुम्हारे जेहन में भी
वो करना एक  मुलाकात चाहता हूँ


मेरी कहानी...

उस दिन उनका चेहरा देखा न होता,
तो ये हालत न होती,
इस खुशनुमा जिंदगी में,
दिल की बगावत न होती ।

उनकी हसीं मुस्कराहट को,
 हम प्यार समझ बैठे,
जज़्बातों के आगोश में,
खुद ही को भुला बैठे,

अगर थाम लेते
अपने दिल को वक़्त से पहले,
जुल्मी दुनिया से फिर हमें
कभी शिकायत न होती ।

वो तो मगरूर रहे
अपने हुस्न के दरिया में,
देखते इस इस सूखे समंदर को,
 तो उन्हें किसी और से मोहब्बत न होती ।

ओढ़ कर बेवफाई का लिबास
अब पूछते है कौन हो आप,
लगाते हम अपने दर्द-ऐ-आशिकी का इलज़ाम,
 तो उनसे वकालत न होती ।

इस खुशनुमा जिंदगी में,
 दिल की बगावत न होती ।